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Maharashtra Shikshan Samiti's

महाराष्ट्र महाविद्यालय, निलंगा

(Affiliated to S. R. T. M. U. Nanded)

Hindi

Department of  Hindi

  • Introduction:

At the establishment the college itself the department of Hindi too was introduced under the leadership of the then Principal Shri P.R. Baheti (as its head). The subject is being taught since then as an optional (Major) and subsidiary (Second language).Dr. N.S. Kunte followed Prof. P.R. Baheti as a head and continued his services till 2007 along with Prof. D.B. Joddapke as his teaching assistant. Dr. B.R. Gaikwad took charge of the departmental since 2007. Dr. G.G. Shivshette is assisting him since Oct 2008.

The special achievements of our students is that.

In the year-  2014-15        

  • Miss Late Ashivini Ganesh bagged the Uni. Level gold medal as the highest scorer.

 In the year- 2016-17,

  • Miss Kshirsagar Anita Mahadev bagged the same honour of the University.

In the year- 2021-22

  • Miss Yogita Sanjay Sherure bagged the Uni. Level gold medal as the highest scorer.
  • In the year 2022-23, the department organized a National level seminar on the Aazadi ka amrut mohasatv – Swadhinta Aandolan mai Hindi Bhasha,Sahitya,Film our Patrkarita ka yogdan
  • The MCQ-Pattern was adopted in 2013-14 till 2015-16, from 2016-17 the CBCS pattern and from 2018-19 (the B.A.-III) elective generic and SEC-Pattern was adopted by the university and it was obvious to follow the same being an affiliated college.
  • Aims and objectives of the department
  • To develop the four basic skills of Hindi language listening speaking, writing and reading.
  • To develop linguistic and communicative competence.
  • To develop reference skill for self-study.
  • To develop curiosity among students to read periodicals magazines, articles and newspapers etc.
  • To enable the students to translate the passages into mother tongue and Vice – versa.
  • To create literary sense among the students to interpreate any literary piece like a poem an essay, a prose passage etc.
  • To enable the students to make use of audio visual aids like, ICT Projector, YouTube, CD, DVD, PPT. etc.
  • To promote and prepare the students for competitive exams.
  • To transform the students to be a good human beings.
  • Extensions Lecturers
  • In the last five years the following eminent personalties were invited to deliver lectures on various occasions like Hindi Din, Hindi Pakhwada and as a Part of departmental activity.
  • -Hindi Literary Association
  • Dr. Suranarayan Ransubhe (Latur).
  • Dr. Vijay Bhadur Singh (Bhopal)
  • Dr. N.S. Kunte (Latur)
  • Dr. V. R. Rode (Pune)
  • Dr. S. L. Yeshwantkar
  • Dr. Sanjay Navale.
  • Faculty
Sr. NO. NAME  OF THE FACULY DESIGNATION DATE OF JOINING EXPERIENCE C.V.  
1 डॉ.बी आर.गायकवाड प्राध्यापक तथा हिंदी विभागाध्याक्ष 01/08/1992 32 BR Sir Resume
2 डॉ.जी.जी. शिवशेट्टे सहयोगी प्राध्यापक 01/10/2008 16 Shivshette sir Resume
3 डॉ.एम.एल.मुस्तफा सहायक  प्राध्यापक 2021-22 03
4 डॉ.व्ही.एम.कुलकर्णी सहायक  प्राध्यापक 2021-22 03 Vijay k Sir  

 

  • Faculty Awards/Achievements /Recognition
Sr. No. Name of the Faculty Year Title of the Award/Achievement /Recognition Awarded by
1 डॉ.बी आर.गायकवाड 2020 लेखक प्रेमचंद अतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार सहयोग फाउंडेशन, पुणे
2 डॉ.बी आर.गायकवाड 2021 शेक्षिक कार्य गोरव पुरस्कार ज्ञानोदय बहुदेशीय संस्था,अहमदनगर
3 डॉ.बी आर.गायकवाड 2022 फणीश्वरनाथ रेणू अतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार युनिव्हर्सल रीसर्च ग्राऊण्ड,बीड
  • प्रस्तावित पाठ्यक्रम (PROGRAMMES OFFERED)
Sr. No. पाठ्यक्रम का शीर्षक

(Name of the Programme)

प्रवेश क्षमता

(In-take Capacity)

समयावधि Duration पाठ्यक्रम के परिणाम

Programme Outcomes

1.  कला स्नातक (बी.ए.) B.A.I-135  

B.A.II-40

B.A.III-42

 

03 कथा साहित्य  I,III

नाटक और एकांकी-II,IV

मध्ययुगीन तथा आधुनिक हिंदी काव्य-V,VII

निबंध तथा कथेत्तर तथा गद्य– VI,VIII

DSE HIN- I (Elective)

हिन्दी साहित्य का इतिहास

DSG HIN- I (Generic) हिन्दी भाषा

DSE HIN- II (Elective) साहित्यशास्त्र

DSG HIN- II (Generic) भाषा शिक्षण

हिन्दी कौशल विकास III,

हिन्दी कौशल विकास  IV

2. वाणिज्य स्नातक (बी.कॉम.) B.COM.I-134

B.COM-II-80

02 साहित्य भारती-I,

साहित्य भारती II

कथेत्तर गद्य-III,

नाटक तथा प्रयोजनमूलक IV

3 विज्ञान स्नातक (बी.एससी B.Sc.I-120

B.Sc-II-61

02 साहित्य भारती-I,

साहित्य भारती II

कथेत्तर गद्य-III,

नाटक तथा प्रयोजनमूलक IV

  • Courses Offered
वर्ष

Year

सत्र

Semester

पाठ्यक्रम का शीर्षक

Titles of the Courses

पाठ्यक्रम के परिणाम

Course Outcomes

B. A. I I  कथा साहित्य 1.हिंदी साहित्य की कहानी और उपन्यास विधा से छात्रों को परिचित कराना।

2. हिंदी साहित्य की लेखन शैली से परिचित कराना।

3. कथा साहित्य के माध्यम से छात्रों की चिंतन तथा लेखन कौशल की क्षमता को विकसित करना।

4.  विविध पत्रों की मानसिकता एवं क्रियाकलापों से छात्रों में सही और गलत को परखने की क्षमता विकसित करना ।

5.कथा साहित्य के माध्यम से छात्रों को विविध समस्याओं से अवगत कर उन समस्याओं के समाधान हेतु उन्हें प्रेरित करना।

नाटक और एकांकी 1.नाटक और एकांकी विद्या से परिचित करना।

2. नाटक के प्रति छात्रों में रुचि उत्पन्न करना।

3. संवाद लेखन, वाचन कौशल का विकास करना।

4.रंगमंच से संबंधित जानकारी छात्रों को देना ।

5. अभिनय के प्रति आकर्षण निर्माण करना।

साहित्य भारती 1.द्वितीय भाषा के रूप में छात्रों को हिंदी भाषा और साहित्य का सामान्य परिचय देना।

2. कालानुरूप कहानी और काव्य में आए परिवर्तन को समझना।

3.  कहानी और काव्य के माध्यम से छात्रों को परिष्कृत करना।

4. छात्रों को हिंदी के व्यवहारिक ज्ञान से अवगत करना।

5.  हिंदी भाषा के प्रति छात्रों में रुचि उत्पन्न करना।

6. रचनाओं में व्यक्त समस्याओं के समाधान के लिए छात्रों को प्रेरित कर नैतिक मूल्यों को स्थापित करना।

II  मध्ययुगीन तथा आधुनिक हिंदी काव्य

 

1.हिंदी काव्य विधा से छात्रों को अवगत करना।

2. हिंदी काव्य लेखन की परंपरा को छात्रों से परिचित कराना।3.  काव्य लेखन के कौशल को छात्रों में विकसित करना तथा सृजन की क्षमता का उन्नयन करना।

4. काव्य में व्यक्त संवेदनशीलता, आस्था, सकारात्मक दृष्टिकोण के माध्यम से छात्रों में सहृदयता को विकसित करना ।

5. काव्य विधा के माध्यम से विविध समस्याओं से अवगत कर उन समस्याओं के समाधान के लिए प्रेरित करना।6.  काव्य तथा कवि के विचारों से अवगत कर युवाओं को राष्ट्र निर्माण के लिए तैयार करना।

 निबंध तथा कथेत्तर तथा गद्य

 

1.निबंध तथा कथेत्तर गद्य कीअन्य विधाओं के स्वरूप से छात्रों से परिचित कराना।

2. हिंदी निबंध की परंपराओं से छात्रों का अवगत कराना ।

3. निबंध तथा गद्य की अन्य विधाओं के लेखन कौशल को छात्रों में विकसित करना।4.  निबंध तथा अन्य विधाओं में व्यक्त वह वैयक्तिकता, वैचारिकता, अनुभवों को छात्रों में विकसित करना।

5. निबंध में व्यक्त राष्ट्र प्रेम, नैतिक मूल्य, राष्ट्र निर्माण की भावना विद्यार्थियों में जागृत करना।6.  छात्रों में लेखन,चिंतन-मनन के कौशल को उन्नत करना।

7. छात्रों को हिंदी कौशल विकास से अवगत कर सक्रिय बनाना।

III  प्रश्न पत्र क्र. ३-

 कथेत्तर गद्य

 

बी.ए., बी.कॉम., बी.एस्सी. द्वितीय वर्षः द्वितीय भाषा हिंदी सत्र

1. हिन्दी कथेत्तर गद्य विधा से छात्रों को अवगत कराना।

2. हिन्दी कथेत्तर गद्य लेखन की परम्परा को छात्रों से परिचीत कराना।

3. कथेत्तर गद्य लेखन के कौशल को छात्रों में विकसित करना तथा सृजन की क्षमता का विकास करना।

4. कथेत्तर गद्य में व्यक्त संवेदनशिलता, आस्था, सकारात्मकता आदिके माध्यम से छात्रों में सहृदयता को विकसित करना।

5. कथेत्तर गद्य के माध्यमसे विविध समस्यओं से अवगत कर उन समस्यांओ के समाधान के लिए छात्रों को प्रेरित करना।

6. गद्य तथा गद्यकारों के विचारों से अवगत कर युवावों में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाना।

प्रश्न पत्र क्र. ४

 नाटक तथा प्रयोजनमूलक हिन्दी

 

1. नाटक तथा प्रयोजनमूलक हिन्दी से छात्रों परिचित करना।

2. नाटक के प्रति छात्रों में रुचि उत्पन्न करना।

3. संवाद लेखन-वाचन कौशल का विकास करना।

4. रंगमंच से संबंधित जानकारी छात्रों को देना।

5. अभिनय के प्रति छात्रों में आकर्षण निर्माण करना।

6. छात्रों को व्यवहारिक हिन्दी के ज्ञान से अवगत करना।

IV DSE HIN- I (Elective) हिन्दी साहित्य का इतिहास

 

इतिहास का अध्ययन महत्वपूर्ण है, क्योंकि इतिहास की पुनरावृत्ति होती है इसलिए किसी भी साहित्य के इतिहास का अध्ययन भविष्यकालीन निर्माण में अत्यंत आवश्यक होता है। साहित्य की पिरिस्थितियाँ और प्रवृतियाँ हमारे वर्तमान जीवन को बनाने में सहयोग देती है। तत्कालीन जीवनमूल्य, जीवन दर्शन, समस्याएँ, संस्कृति का वर्तमान से सह-सबंध समापित होकर जीवन और कलाओं का निर्माण होता है।
 DSE HIN- II (Elective) साहित्यशास्त्र साहित्यशास्त्र

शिक्षा ज्ञानवर्धन का साधन है। सांस्कृतिक जीवन का माध्यम है। अपनी क्षमताओं का पूर्ण उपयोग करते हुए जीवन जीन की कला के साथ-साथ व्यक्तित्व के विकास का पथ-प्रदर्शन भी है। इन कलाओं के माध्यम से ही मनुष्य अपने जीवन को आनंदमय बना सकता है। आधुनिक तकनिकी युग में साहित्य की शास्त्रियता मनुष्य जीवन का एव मात्र आधार सिध्द होती है। अतः साहित्य शास्त्र के अध्ययन का यहि परिणाम है।

 DSG HIN- I (Generic)

हिन्दी भाषा

 

DSG HIN- I (Generic) हिन्दी भाषा

वैदिक संस्कृत, प्राकृत, पाली, अपभ्रंश आदि पङावो से गुजरकर हिन्दी भारतवासियों के दिल की धडकन बनी। यदि भारत की भाषाओं की इतिहास उठाकर देखें तो पता चलता है कि हिन्दी किसी न किसी रूप में अपनी सहोदर भाषाओं को अपना सहयोग प्रदान करती रही है। भाषा मानवीय जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। इसलिए भाषा के स्वरुप, प्रयुक्ति क्षेत्र और उसकी उपयोगिता का अध्ययन करना आवश्यक है। हिंदी भाषा आज केवल विचारों के

आदान-प्रदान का साधन न होकर वह नये नये रोजगारों के अवसर भी निर्माण कर रही है। वैश्विकरण के बदलते परिवेश में हिंदी की उपयोगिता दिन-ब-दिन बढ रही है।

V DSG HIN- II (Generic)

भाषा शिक्षण

 

DSG HIN- II (Generic) भाषा शिक्षण

भाषा मानविय भावनाओं एवं विचारों को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। भाषा के माध्यम ने ज्ञान प्राप्ती एवं अभिव्यक्ति संभव है। अतः भाषा शिक्षण के माध्यम से भाषाई शुध्दता एवं प्रयोग कुशलता से रोजगार के अवसर प्रदान किए जा सकते है। विज्ञान एवं प्राद्योगिकी के उत्तरोत्तर विकास से २० वी शताब्दी में औद्योगिक क्रांति आयी और अब २१ वी शती में सूचना क्रांति हुयी। हिंदी भाषा की उपादेयता इस बात से प्रमाणित होती है कि यह हमारे बहुसंख्य लोंगों की भाषा है साथ ही यह साहित्य की भाषा होते हुये इसमें विज्ञान तथा व्यापार की अद्यतन जानकारियाँ है। इसलिए भाषा शिक्षण का महत्व अक्षुण्ण है।

हिन्दी कौशल विकास III

 

हिन्दी कौशल विकास III

बदलते वैश्विक परिदृश्य में आज अर्थ महत्वपूर्ण हो गया है जिसके परिणामस्वरुप बाजारवाद को बढावा मिला है। अतः शिक्षा क्षेत्र में भी पारंपारिक शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास के माध्यम से छात्रों को कार्यकुशल बनाना वर्तमान समय की माँग है। विश्व में भारत की युवाओं का राष्ट्र ऐसी पहचान बन रही है। इस युवाशक्ति की क्षमता को राष्ट्रनिर्माण के लिए उपयोग में लाना आवश्यक है। इसलिए युवाओं में कौशल विकास का होना अनिवार्य है। विज्ञान एवं औद्योगिकी, अभियांत्रिकी, चिकित्सा, विधि तथा प्रबंधन में हिंदी भाषा कौशल अत्याधिक मात्रा में दिखाई देता है।

हिन्दी कौशल विकास  IV

 

 हिन्दी कौशल विकास  IV

बदलते वैश्विक परिदृश्य में आज अर्थ महत्वपूर्ण हो गया है जिसके परिणामस्वरुप बाजारवाद को बढावा मिला है। अतः शिक्षा क्षेत्र में भी पारंपारिक शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास के माध्यम से छात्रों को कार्यकुशल बनाना वर्तमान समय की माँग है। विश्व में भारत की युवाओं का राष्ट्र ऐसी पहचान बन रही है। इस युवाशक्ति की क्षमता को राष्ट्रनिर्माण के लिए उपयोग में लाना आवश्यक है। इसलिए युवाओं में कौशल विकास का होना अनिवार्य है। विज्ञान एवं औद्योगिकी, अभियांत्रिकी, चिकित्सा, विधि तथा प्रबंधन में हिंदी भाषा कौशल अत्याधिक मात्रा में दिखाई देता है।

 

 

 

  • Results
Sr. No. Academic Year No. of Students Enrolled No. of Students Appeared for Exam Passed Failed Percentage of Result
1. 2019-20 16 16 14 02 87.5
2. 2020-21 23 23 23 NIL 100
3. 2021-22 38 38 33 05 86.84
4. 2022-23 32 32 28 04 87.5
5. 2023-24 18

 

 

  • Students’ Achievements/ Merits
Sr. No. Academic Year Name of the Student % or Award or Achievement
1 2019-20 क्षीरसागर आर. एन. 79.66%
कादरी एस. एच. 78.33%
दाफेदार एस. के. 77%
2 2020-21 शेटकार एस. आर. 84.33%
तुलसे एम. के. 84%
राठोड़ एस. एस. 84%
2021-22 शिरूरे वाय. एस

S.R.T.M.Uuniversity Nanded, Gold medal.

86.33%  S.R.T.M.Uuniversity Nanded, Gold medal
दालिंबकर ए. एन. 82.33%
एकांबे एस. ए. 81%
4 2022-23 कांबले ए. के. 84.66%
बालकुंदे के. ए. 79.66%
सोलुंके के. ए. 76%
5 2023-24

 

 

  • Best Practices of the Department
Sr. No. Title of the Best Practice Photos
1 पोस्टर प्रदर्शन

विश्व हिंदी दिवस

 

 

 

 

 

पोस्टर प्रदर्शन

शिक्षक दिन

 

 

 

 

 

2  

पोस्टर प्रदर्शन

आज़ादी का अम्रत महोत्स्व

महिला दिन

 

3

 

 

 

 

 

 

 

04

निबंध प्रतियोगिता

 

 

 

 

 

 

राजभाषा हिंदी दिवस-

2023-24

 

 

 

 

राजभाषा हिंदी दिवस-

2020-21

 

 

हिंदी काव्य सम्मेलन  
प्रेमचंद जयंती विशेष व्याख्यान
 

 

हिंदी वाड;मय मंडळ कार्यक्रम

हिंदी संगोष्ठी का आयोजन
वाचक

संवाद  उपक्रम-1

वाचक

संवाद  उपक्रम-2

I.C.T tools activty  

 

  • Notable Alumni
Sr. No. Name of the Alumni Present Designation
1. Dr.Subash Eigle professor
2. Dr.Narshing  Eikile Associate professor
3. Dr.Somnath Wanjarwade Associate professor
4. Prof.Dhanraj Birajdar Assistant professor
5. Shri.Lahu Panchal Bank manger
6 Jabbar momin Junior lecture
7 Dr.satish jadhav Assistant professor
8 Swo. Lata pandhare Bank clarck
9 Prof.Resma choudheri Assistant professor
10 Dr.vijay Kulkarni Assistant professor
11 Dr.Vanita Agree Assistant professor
12 Dr.Sulbha Shendge Assistant professor
13 Damaji wale Teacher
14 Shri Balaji Jadhav Teacher
15 Shri Parsad Mule Business man
16 Shir. Dhanraj mandle Junior lecture